
रहस्यमय मूर्ति हिंदी कहानी
इस हिंदी कहानी में सोनपुर गांव में श्याम नामक एक मूर्तिकार रहता था, जो मिट्टी की मूर्तियां और पत्थर की मूर्तियां बनाता था। वह इन मूर्तियों से कमाई कर अपनी घर की देखभाल करता था, उसके घर में उसके साथ उसकी बूढ़ी मां रहती थी। श्याम सुबह-सुबह ही अपने मूर्तियों के साथ बाजार निकल जाता था मूर्तियां को बेचने के लिए श्याम एक अच्छा मूर्तिकार था जो काफी खूबसूरत मूर्तियां बनाता था।
एक दिन वह मूर्ति की बिक्री कर घर आता है वह देखता है, कि उसकी मां रो रही है वह अपनी मां से पूछता है, क्या हुआ मां तुम क्यों रो रही हो, श्याम की मां बोलती है, बेटा तुम्हारे पिताजी एक जमींदार से 40,000 रुपए लिए थे अब वह सूत-समेत एक लाख हो गए हैं, जो कि जमींदार मांग रहा है और मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं उसे दे सकूं वह यह कहकर गया है, कि एक हफ्ते में पैसे चाहिए नहीं तो अपना घर खाली कर देना।
श्याम अपनी मां से बोलता है, तू चिंता मत करना मैं पैसों का बंदोबस्त करता हूं। अगली सुबह शाम पैसों का बंदोबस्त करने के लिए निकल पड़ता है, वह इधर-उधर भटक ही रहा था तभी उसे मूर्ति का प्रदर्शन दिखता है, जो कि कुछ हफ्तों बाद होने वाला था यह देखकर श्याम बहुत ही खुश होता है, क्योंकि वह एक अच्छा मूर्तिकार था। वह घर जाकर एक मूर्ति बनाने में लग जाता है। उसे मूर्ति बनाने में 9 दोनों का समय लगता है। वह कड़ी मेहनत करके इन दिनों में एक बहुत ही सुंदर मूर्ति को बनता है वह इस मूर्ति को प्रदर्शनी में ले जाता है।
वह प्रदर्शनी के मालिक से कहता है, की मालिक मेरी या मूर्ति प्रदर्शनी में रखवा दीजिए उसे प्रदर्शनी का मालिक बहुत ही दुष्ट और घमंडी था वह श्याम के मूर्ति को लेने से मना कर देता है। वह कहता है, कि तुम जैसे गरीब लोगों की मूर्ति मेरे इस प्रदर्शनी में नहीं रखी जाती तुम कहां गरीब लोग और हम कहां ठहरे अमीर लोग तुम्हारी हमसे कोई बराबरी नहीं है ऐसा कह कर उसे प्रदर्शनी के मालिक ने श्याम की मूर्ति को धक्का दे देता है और मूर्ति नीचे गिरकर टूट जाती है।
रहस्यमय मूर्ति Kahani in Hindi
श्याम बहुत उदास होता है वह रोते हुए अपने मूर्ति को समेट कर बाहर निकल जाता है वह अपने घर की ओर लौटता है घर लौटते लौटते शाम हो जाती है, क्योंकि मूर्ति की प्रदर्शनी शहर में थी। वह रास्ते में ही रुकने की सोचता है, वह एक जगह अपने मूर्ति को रख देता है और पास में ही वह आराम करने के लिए बैठ जाता है तभी अचानक उसे कुछ आवाज सुनाई देती है वह उठकर इधर-उधर देखता है, उसकी नजर अपने मूर्ति पर जाती है वह हैरान हो जाता है। वह देखता है कि उसकी मूर्ति वापस ठीक हो गई है यह देखकर श्याम बहुत ही खुश होता है उसे विश्वास नहीं होता है इसलिए वह अपनी मूर्ति को आगे पीछे होकर निहारता है और छूकर परखता भी है की मूर्ति वास्तव में ठीक हो गई है यह देखकर वह बहुत ही खुश हो जाता है।
वह अपनी मूर्ति को एक पेड़ के नीचे रखकर कुछ खाने के लिए लेने जाता है वह वापस आता है वह देखता है कि उसकी मूर्ति उसे वृक्ष के नीचे नहीं है। वह अपने मूर्ति को भाग भाग इधर-उधर ढूंढता है वह अपने मूर्ति को गेट के पास पता है उसके सामने एक महिला खड़ी होती है, श्याम उसके पास जाता है और पूछता है तुम मेरे मूर्ति के साथ क्या कर रही हो वह महिला बोलती है नहीं भाई साहब मैं मूर्ति को बस देख रही थी यह मूर्ति कितनी सुंदर बनी है।
श्याम बहुत उदास होता है वह महिला उससे पूछता है क्या बात है भाई आप इतने उदास क्यों हैं वह सारी बात उसे महिला को बताता है महिला बोलते हैं आप परेशान ना होइए उसे प्रदर्शनी में आपकी मूर्ति अवश्य ही रखी जाएगी यह सुनकर वह बहुत ही प्रसन्न होता है और मूर्ति को लेकर उसे महिला के साथ चला जाता है, अगले दिन मूर्ति की प्रदर्शनी थी।
Mysterious Statue Kahani in Hindi
सुबह होते ही श्याम उसे प्रदर्शनी में पहुंचता है और वह देखता है, कि उसकी मूर्ति भी वहां पर रखी हुई है यह देखकर श्याम बहुत ही प्रसन्न होता है वह अधिक कर बहुत खुश था कि उसके मूर्ति के पास सबसे ज्यादा भीड़ है और लोग उसे मूर्ति को पसंद भी कर रहे हैं। प्रदर्शनी का मालिक फिर से शाम के पास आता है और बोलता है मैंने तुमको प्रदर्शनी में मूर्ति रखने से मना किया था फिर तुमने मूर्ति क्यों रखी।
श्याम बोलता है, मैं नहीं उसे महिला ने मेरी मूर्ति रखवाई है वह भी एक अच्छी मूर्तिकार है, प्रदर्शनी का मालिक पूछता है कौन सी महिला श्याम इधर-उधर देखता है पर उसे कोई महिला दिखाई नहीं देती है फिर वह अपने मन में सोचता है की मूर्ति का जुड़ना उसे महिला का मिलन और मेरा यहां प्रदर्शनी में आना कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता वह समझ जाता है कि वह औरत कोई और नहीं उसकी मूर्ति ही थी।
अब प्रदर्शनी का मालिक बोलता ही तब तक प्रदर्शनी में आए हुए बड़े-बड़े लोग शाम के पास आते हैं और कहते हैं भाई आपकी मूर्ति बहुत ही अच्छी है आप इस मूर्ति के कितने पैसे लोगे श्याम मूर्ति बेचने से मन कर देता है और वहां के लोग कहते हैं, अगर आप इस मूर्ति को बेचना नहीं चाहते तो आप इसके जैसे ही खूबसूरत मूर्तियां बना सकते हैं क्या? श्याम हां बोलता है और उसे काफी लोगों से मूर्तियों का आर्डर मिल जाता है। वह प्रदर्शनी से बाहर ही निकल रहा था कि गेट पर दो व्यक्ति उसका इंतजार कर रहे थे उन व्यक्तियों के हाथ में पैसों का बैग था।
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वह दोनों व्यक्ति श्याम से पूछते हैं की आप हमारे लिए मूर्ति बना सकते हैं क्या? हमने देखा आपकी मूर्ति काफी खूबसूरत है, श्याम कहता है क्यों नहीं भाई साहब मैं आपकी मूर्ति अवश्य बनाऊंगा श्याम उनका ऑर्डर लेकर और पैसों से भरा बैग लेकर घर आता है और कुछ दिनों में ही उनकी मूर्ति बनाकर उन्हें दे देता है और प्रदर्शनी में उसे मूर्तियों की कीमत 2 लाख के आसपास मिलती है। उन पैसों से वह अपने कर्ज को चुकता है और बचे हुए पैसों से अपने घर की देखभाल करता है।
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