मेहनती किसान की देसी हिंदी कहानी | Mehnati Kisan Hindi Kahani

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Desi Hindi Kahani Mehnati Kisan
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मेहनती किसान की देसी हिंदी कहानी

बहुत समय पहले की बात हैं, रामपुरी नगरी में एक गरीब किसान रमेश और अपनी पत्नी सुनीता के साथ रहता था। उसकी फसल पूरे गाँव में सबसे अच्छी होती थी वह फसल उगाने के साथ-साथ सब्जियां भी बेचा करता था। दिनभर खेत में काम करता और शाम को सब्जियां बेचता।

एक दिन वह सुबह-सुबह उठता हैं और अपने पत्नी से कहता हैं, सुनीता मैं खेत में काम करने जा रहा हूँ, तुम मेरे लिए खाना लाना उसकी पत्नी कहती हैं, ठीक हैं। वह अपने खेत में काम करने के लिए चला जाता हैं, खेत में काम कर ही रहा था। तभी उसे दो आदमी अपनी मेड पर आते हुए दिखाई देते हैंं। वह उस गाँव के जमींदार थे।

रमेश के पास आकर जमींदार जी बोलते हैंं, मैंने सुना हैं, कि तुम पूरे गाँव में सबसे अच्छी फसल उगाते हो क्या तुम अपनी फसल मुझे बेचोगे मैं तुम्हारी फसल को अच्छे दामों पर लूंगा। किसान रमेश बोलता हैं क्यों नहीं मालिक यह तो मेरी खुशी की बात हैं, जो मैं अपना अनाज आपको अच्छे दाम पर बेचू। जमींदार जी बोलते हैंं, ठीक हैं, फसल पक जाने पर हमारे कुछ आदमी आकर तुम्हारे फसल को काटकर तुम्हारे घर पहुंचा देंगे रमेश कहता हैं, ठीक हैं मालिक।

मेहनती किसान Hindi Kahani

कुछ देर बीते ही थे कि उसकी पत्नी रमेश के पास खाना लेकर आती हैं। रमेश खुशी से बोलता हैं, अभी थोड़ी देर पहले जमींदार साहब आए थे उनको हमारी फसल चाहिए वह हमें अपनी फसल की अच्छी कीमत देंगे यह सुनकर सुनीता बहुत खुश होती हैं, दोनों साथ काम कर घर चले जाते हैंं। रमेश अपने खेत में कड़ी मेहनत कर अच्छी फसल उगाता हैं, उसकी फसल सोने जैसे चमक रही थी। यह देखकर वह बहुत खुश होता हैं, क्योंकि इस बार उसे फसल की अच्छे दाम मिलेंगे।

फसल पककर तैयार हो जाती हैं, रमेश हसिया लेकर अपने खेत में जा पहुंचता हैं, फसल काटने के लिए तभी वहां कुछ जमींदार के आदमी आते हैंं। वह भी फसल कटाई करने में उसकी मदद करते हैंं कुछ समय बाद फसल की कटाई कर अनाज निकल जाता हैं, और अनाज की बोड़ी बनाकर रमेश के घर पहुंचा दिया जाता हैं। जमींदार के आदमी रमेश से कहता हैं, मालिक के आदमी आएंगे कल वो तुम्हारी अनाज को ले जाएंगे।

रमेश और सुनीता रात का भोजन करके सो जाते हैंं उनके घर में उसी रात चोर आकर उनके सारे अनाज को चुरा ले जाते हैंं। जब सुबह उन दोनों को चोरी का पता लगता हैं। वह दोनों बहुत उदास हो जाते हैंं वह यह सोचता हैंं, कि जब जमींदार का आदमी आएगा तो मैं उसे क्या जवाब दूंगा। थोड़ी देर बाद जमींदार का आदमी आता हैं और रमेश से कहता हैं। लाओ रमेश अपना फसल दो, रमेश उदास मन से कहता हैं, मेरी अनाज चोरी हो गई। क्या तुम्हारी अनाज चोरी हो गई तुम शीघ्र ही मलिक के पास चलो रमेश कहता हैं, ठीक हैं। वह दोनों जमींदार के पास जाते हैंं।

जमींदार साहब मेरी अनाज किसी ने रात को चोरी कर ली जमींदार बोलता हैं, तुम अधिक पैसों के लालच में अपनी अनाज किसी और को तो नहीं बेच दी। रमेश कहता हैं, नहीं मालिक मैं ऐसा करके इस गाँव से कहां जाऊंगा अगर मैं ऐसा करूंगा तो कभी ना कभी आपको यह बात अवश्य ही पता चलेगी। जमींदार कहते हैंं ठीक हैं, रमेश कोई बात नहीं तुम मुझे अगली बार अपनी अनाज बेच देना रमेश उदास मन से अपने घर वापस लौट जाता हैं।

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रमेश अब शाम को सब्जियां बेचने जाता। सब्जियां बेचकर वह अपने घर का खर्च चलता। रात का भोजन करते समय सुनीता बोलती हैं, सब्जियाँ बेचकर हमारा गुजारा नहीं हो सकता हमें कोई और रास्ता सोचना होगा। रमेश आचार का टुकड़ा खाने के लिए उठाता हैं, तभी उसे एक उपाय सोचता हैं। वह सुनीता से कहता हैं, क्यों ना मैं आचार बेचने का काम शुरू करूं और तुम आचार भी अच्छा बनाती हो।

सुनीता आचार बनाने में जुट जाती हैं, और रमेश उन आचार को बाजार में बेचने जाता हैं, उस दिन आचार की बिक्री काफी अच्छी होती हैं। वह घर आकर अपनी पत्नी से कहता हैं। हमें आचार की मात्रा और बढ़ानी होगी लोग तुम्हारे आचार को बेहद ही पसंद कर रहे हैंं। सुनीता और अधिक आचार बनती हैं, रमेश उसे बाजार में बेचता ऐसा करते-करते वह एक आचार की दुकान खोल लेता हैं, अब सारे गांव के लोग उसके दुकान पर आचार खरीदने आते।

एक दिन जमींदार उसकी दुकान से गुजर रहे होते हैंं वह रमेश की दुकान पर जाते हैंं और कहते हैंं क्यों रमेश? तुमने यह धंधा कब से शुरू किया रमेश बोलता हैं, बस कुछ दिनों से ही मालिक। जमींदार रमेश की आचार को चखते हैंं, उन्हें आचार काफी पसंद आता हैं और कहते हैंं। रमेश क्या तुम मेरे लिए 60 किलो आचार बना दोगे रमेश हां में जवाब देता हैं। यह बात रमेश अपनी पत्नी को बताता हैं और उसकी पत्नी खुश होकर आचार को बनाने बैठ जाती हैं। कुछ ही दिनों में आचार बनकर तैयार हो जाता हैं।

रमेश की पत्नी बोलती हैं, की कही फिर से हमारे घर में चोरी ना हो जाए, हमें कुछ सोचना चाहिए रमेश कुछ देर सोचता हैं और कहता हैं। तुम चिंता ना करो इसके लिए मेरे पास एक उपाय हैं। वह आचार को मटके में रख देता हैं और एक मटके में मिर्च भरकर दरवाजे के ऊपर रख देता हैं। इस बार फिर चोर उसके घर में चोरी करने आते हैंं। चोर घर में घुसते ही दर्द से चिल्लाने लगते हैंं, क्योंकि उनकी आँख में मिर्ची जल रही थी तभी वहां रमेश और उसकी पत्नी पहुंचते हैंं।

Hindi Kahani मेहनती किसान

रमेश पूछता हैं, तुम हमारे घर में चोरी क्यों कर रहे हो बहुत डांट फटकार के बाद वह चोर बोलते हैंं हम तुम्हारे घर में चोरी किसी के कहने पर कर रहे हैंं रमेश पूछता हैं। वह कौन हैं? चोर दर्द के कारण रमेश से कहते हैंं। वह आदमी जमींदार का आदमी हैं, उसी ने तुम्हारे घर में चोरी करने के लिए कहा। अगली सुबह रमेश जमींदार के घर पहुंच जाता हैं वह सारी बात जमींदार को बताता हैं जमींदार अपने आदमी को बुलाते हैंं, आदमी अपनी गलती की माफी मांगने लगता हैं। जमींदार कहते हैंं, माफी हमसे नहीं रमेश से मांगो रमेश कहता हैं। मैं माफ नहीं करूंगा तुम जैसे आदमी तो पुलिस के हवाले कर देना चाहिए और वह ऐसा ही करता हैं।

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कुछ देर बाद आचार का सारा डिब्बा जमींदार के घर पहुंचा दिया जाता हैं। जमींदार बहुत खुश होते हैंं रमेश की ईमानदारी पर वह रमेश को आचार के बदले काफी अच्छे पैसे देते हैंं रमेश उनको धन्यवाद करता हैं और वह अपने घर चला जाता हैं। अब रमेश को अपनी फसल के अच्छे दाम मिल रहे थे और उसके पास अब अच्छा कारोबार भी था अब वह अपने जीवन को खुशी खुशी जी रहा था।

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