जलपरी की कहानी | Jalpari Ki Hindi Kahani

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Jalpari Ki Hindi Kahani

सोनपुर गांव में मैंना नाम की एक लड़की रहती थी, वह अपने चाचा-चाची के साथ रहती थी। उसके चाचा-चाची मैंना से घर का सारा काम करती थी, जब भी मैंना के पिता आते थे उसके चाचा-चाची उनके सामने अच्छा बनने का नाटक करते थे। वह ऐसा दिखती थी कि वह मैंना की बहुत फ़िक्र करती हैं।

इसी बीच जब मैंना के माता-पिता शहर से वापस लौटते थे तब मैंना खुशी-खुशी अपने पापा के साथ समय बिताती, पिताजी के शहर चले जाने के बाद घर का काम करके स्कूल जाया करती थी वह हर शाम उदास गांव के बगल एक नदी किनारे जाकर बैठ जाती थी। चाचा-चाची एक लड़का था, जिसका नाम श्याम था। वह बहुत समझदार और अच्छा लड़का था। वह मैंना की हर काम में मदद करता था। वह दोनों भाई-बहन नदी किनारे शाम होते ही चले जाते थे, मैंना नदी किनारे एक पेड़ के नीचे बैठ जाती और श्याम नदी में जाकर तैराकी करता।

श्याम की मां मैंना को अक्सर काम देती, मैंना उसको करने में जुड़ जाती। श्याम मैंना को थका देखकर उसके कामों में हाथ बटा लेता पर श्याम की मां को पता चलते वह श्याम को डांट फटकार लगाती और कहती तू घर का लाडला बेटा है, तुझे काम करने की कोई जरूरत नहीं है, सारा काम यह मैंना ही करेगी। श्याम अपनी मां से कहता है, मां क्या हो जाएगा अगर मैं काम में मैंना की मदद कर दूंगा। इतना कहकर श्याम वहां से चला जाता है और फिर श्याम की मां, मैंना को भला-बुरा सुना देती।

जलपरी की Kahani in Hindi 

एक शाम वह नदी के किनारे जा बैठी है तभी वहां श्याम आता है, मैंना बहुत उदास थी। श्याम उससे पूछता है, क्या हुआ बहन तुम इतनी उदास क्यों हो? मैंना कुछ जवाब नहीं देती है वह नदी की ओर देखती है। तभी श्याम बोलता है, चलो तुम्हें तैरना सिखाता हूँ, इतने में मैंना खुश होकर बोलती है, सच भैया क्या तुम मुझे तैरना सिखाओगे? श्याम मैंना को तैरना सीखाता है और कुछ ही दिनों में देखते ही देखते मैंना एक अच्छी तैराक हो जाती है।

अब वह नदी के अंदर तक चली जाती और जब भी मैंना बाहर आती तब उसे कोई ना कोई चीज जरूर मिलता। एक बार वह नदी से मोतियों को बाहर लेकर आती है और अपने भाई को दिखाती है यह देखो भैया मुझे क्या मिला। श्याम बोलता है मुझे यह सब क्यों नहीं मिलता मैं भी तो तैरना जानता हूं, तुझे ही क्यों मिलता है। फिर वह दोनों घर चले जाते हैं, श्याम की मां मैंना के हाथ में मोतियों को देखते ही उससे मोतियों को ले लेती है।

एक शाम मैंना नदी के किनारे जा बैठती ही है, तभी उसे एक दर्द की आवाज सुनाई देती है, मैंना उस आवाज की तरफ जाती है, तो वह देखती है, की एक जलपरी दर्द से कराह रही है। मैंना को विश्वास नहीं होता है। वह चारों तरफ से देखती है, तब उसे यकीन होता है कि वह एक जलपरी ही है। वह सोचती है, लेकिन यह दर्द से कराह क्यों रही है? पास जाकर देखते हैं तो जलपरी के पूछ में कांच का टुकड़ा चुभ गया था। मैंना के पास जाने की वजह से वह जलपरी घबरा जाती है, इतने में मैंना बोलती है, डरने की जरूरत नहीं है मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी।

मैंना धीरे से उस कांच के टुकड़े को निकाल देती है और उस पर कुछ औषधियां भी लगाती है, जिससे जलपरी को राहत मिलती है। तभी जलपरी बोलती है तुम बहुत नेक दिल लड़की हो और साथ ही वह धन्यवाद करके पानी में चली जाती है। अगले शाम फिर वह मैंना से मिलने आती है और ऐसे ही कुछ ही दिनों में उनकी अच्छी दोस्ती हो जाती है।

Jalpari Ki Kahani

एक दिन जलपरी कहती है कि तुम मेरे साथ नीचे नदी में क्यों नहीं चलती तभी मैंना बोलती है, मैं नीचे सांस कैसे लूंगी मैं एक इंसान हूं। तब जलपरी उसे एक जादुई लॉकेट देती है, जिसकी मदद से अब मैंना भी पानी के नीचे सांस ले सकती थी। मैंना सारा नदी घूमती है और उसे काफी अच्छा भी लगता है।

जलपरी के साथ समय बिताने की वजह से मैंना घर देर से जाया करती। इसी वजह से चाची उसको डांट लगाती। अब मैंना भी जलपरी के पास रुक जाती थी क्योंकि घर पर उसका मन नहीं लगता था। घर देर जाने की वजह से ही धीरे-धीरे श्याम की मां को मैंना पर शक होने लगा कि यह घर देर से क्यों आती है। उसने अपने पति से कहा आप देखते क्यों नहीं यह घर देर से क्यों आती हैं।

शाम होते ही जब मैंना जलपरी से मिलने जा ही रही थी। तब उसके चाचा मैंना के पीछे-पीछे चले जाते हैं और वह सब कुछ देख लेते हैं और एक दिन वह धोखे से जलपरी को कैद कर लेते हैं। मैंना के पास जादुई लॉकेट होने की वजह से जलपरी की आवाज मैंना के पास जाती है, मैंना मेरी सहायता करो मैं मुसीबत में हूं, वह सारी बात मैंना को बताती है और जलपरी की मदद करने के लिए मैंना उस जगह पहुंच जाती है और देखती हैं कि उसके चाचा जलपरी को कैद करके रखे हैं। वह जलपरी को छुड़ा देता है।

इतने में उसके चाचा बोलते हैं, मैंना तुम यहां क्या कर रही हो चली जाओ यहां से तभी मैंना बोलती है। उसे छोड़ दो चाचा जी। मैंना के चाचा जी बोलते हैं नहीं मैं इसको दुनिया के सामने लाऊंगा और यह बताऊंगा कि मैं जलपरी खोजने वाला पहला इंसान हूं ऐसा करके मैं बहुत ही धनी और प्रसिद्ध हो जाऊंगा। जलपरी के छूटने की वजह से वह उसके चाचा को मूर्छित कर देती है और वह दोनों वहां से नदी किनारे चले जाते हैं।

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जाते-जाते जलपरी बोलती है, मैंना मेरे पिताजी ठीक कहते हैं। यह बाहरी दुनिया हमारे लायक नहीं है। लेकिन तुम्हारे जैसे कुछ अच्छे लोग भी रहते हैं, तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद मैंना मेरी जान बचाने के लिए और ऐसा कहकर जलपरी पानी में चली जाती है। कुछ ही दिनों में मैंना के पिताजी आ जाते हैं मैंना सारी बात अपने पिताजी को बता देती है, मैंना के पिताजी अपने भाई को बहुत डांट-फटकार लगाते हैं और मैंना को अपने साथ शहर लेके चले जाते हैं। मैंना आगे की पढ़ाई वही करती है और अपने माता-पिता जी के साथ खुशी-खुशी रहने लगती है।

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