जादुई नदी की कहानी | Jadui Kahaniyan

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Jadui Nadi Ki Hindi Kahani
Jadui Nadi Ki Hindi Kahani

जादुई नदी की कहानी

रजतपुर गांव में उमेश नामक एक नाविक अपनी पत्नी और मां के साथ रहता था उसे गांव में आने-जाने का मार्ग नदी ही था जिससे लोग नदी से इस गांव से दूसरे गांव में जाते थे उसी से उमेश नाव चला कर अपने घर की देखभाल करता था। उमेश बहुत गरीब था अपनी गरीबी के कारण वह अपने गांव में कई लोगों से पैसे उधार लिया था उसमें से एक मेवालाल नामक धनी सेठ से भी पैसे लिया था।

एक दिन उमेश अपने नाव के साथ नदी के किनारे ग्राहकों का इंतजार कर रहा था तभी वहां पर मेवालाल आता है और उमेश से कहता है, मेरे पैसे वापस करो उमेश कहता है, मालिक मेरे पास अभी पैसे नहीं है, इस समय मेरा काम भी ठीक नहीं चल रहा है। इसीलिए मेरे पास पैसे नहीं है मैं आपके पैसे जल्दी लौटा दूंगा।

उमेश को एक सप्ताह का समय देता है और कहता है मैं एक सप्ताह बाद फिर पैसे लेने आऊंगा अगर तुमने इस बार पैसे नहीं दिए तो अपना मकान खाली कर देना। उमेश उदास होकर अपने घर की ओर चला जाता है और जैसे ही वह घर पहुंचता है उसकी पत्नी बोलती है कि घर पर कुछ लोग आए थे। वह अपने पैसा मांग रहे थे। उमेश बोलता है मेरे पास पैसों की कमी है तुम्हें तो पता ही है मैं कैसे-कैसे करके पैसे इकट्ठा करता हूं वह किसी न किसी कारण खर्च ही हो जाते हैं।

Jadui Kahani Nadi Ki

अभी कुछ पैसे इकट्ठा हुए ही थे की मां की बीमारी की इलाज में खर्च हो गए तुम्हें तो पता ही है कि मैं कितनी मेहनत करता हूं फिर भी मेरे पास पैसे नहीं है। इतने में उमेश की पत्नी बोलती है गांव में और सभी लोगों के पास अच्छी मकान और खुशहाल हैं। इतने में उमेश बोलता है गांव के सभी लोग नदी के रास्ते आने जाने वाले लोगों से अधिक पैसा लेते हैं जो की ठीक नहीं है इसलिए वह इतने अमीर हैं। मैं एक ईमानदार व्यक्ति हूं मैं ऐसे लोगों को ठगने का कार्य नहीं करूंगा।

कुछ सप्ताह बीत जाने के बाद मेवा लाल उमेश के पास आता है और कहता है आज तुम्हारे पैसे देने का दिन है मैं शाम तक पैसे लेने आऊंगा पैसे को तैयार रखना नहीं तो अपना घर खाली कर देना इतना कह कर वह वहां से चला जाता है।

उमेश नदी के किनारे पहुंचता ही है कि तभी उसे एक बूढ़े व्यक्त की आवाज सुनाई देती है। उमेश पीछे मुड़कर देखा तो एक बूढ़ा आदमी लाठी के सहारे खड़ा था। वह उमेश से कहता है, बेटा क्या तुम मुझे नदी के उसे पर छोड़ दोगे? नदी के उस तरफ मेरी पत्नी रहती है। उमेश कहता है हां दादा जी क्यों नहीं आइये मैं आपको उस तरफ छोड़ देता हूं लेकिन इसके 10 रुपये लगेंगे बूढ़ा आदमी बोलता है, मेरे पास देने को पैसे नहीं है।

उमेश बोलता है नहीं दादाजी मेरे घर में पैसों की दिक्कत है मैं बिना पैसों के आपको उस तरफ नहीं छोड़ सकता बूढ़ा आदमी उमेश से आग्रह करता है। उमेश को उस बूढ़े आदमी पर दया आ जाती है। वह कहता है, ठीक है दादाजी आप बैठ जाइए मैं आपको उस तरफ छोड़ दूंगा।

वह बूढ़ा आदमी रहश्यमय मुस्कुराहट के साथ नाव में बैठता है, उमेश अपनी नाव को चलाता है, वह नदी के बीच में पहुँचा ही था तभी उससे बूढ़ा आदमी बोलता है बस बेटा नाव यही रोक दो मैं यही उतर जाऊंगा उमेश आशचर्य से बोलता है, दादाजी यहां पर आप कहां उतरेंगे यहां तो कोई जमीन नहीं है चलिए मैं आपको नदी के किनारे छोड़ देता हूं। बूढ़ा आदमी बोलता है नहीं बेटा मुझे यही उतरना है इतना कह कर अब बूढ़ा आदमी नदी में छलाँग लगा देता है, उमेश यह सोचता है यह बूढ़ा आदमी पानी में कैसे तैरेगा? वह उस बूढ़े आदमी की जान बचाने के लिए नदी में कूद जाता है।

Jadui Nadi Hindi Kahaniyan

उमेश जैसे ही नदी में कूदता है, वह खुद को एक छोटी से तालाब में पाता है। वह एक जादुई तालाब था जो की एक रहश्यमय नगरी में जाकर खुलता था। उमेश आश्चर्य था कि मैं यहां कैसे आ गया।

वह कुछ देर आगे चलता है तभी उसे एक आवाज सुनाई देती है वह देखता है वह आवाज एक जादुई पेड़ की है उमेश बहुत आश्चर्य था कि यह सब वह सपना तो नहीं देख रहा है तभी वह पेड़ बोलता है ही व्यक्ति तुम अगर आज इस जगह पर हो तो तुम जरूर ही एक नेक दिल इंसान होंगे। वह जादू वृक्ष उमेश को आगे का रास्ता बताता है, उमेश उस मार्ग पर जाता है वह एक महल के पास जा पहुंचता है वह देखता है कि वह महल पूरे सोने से बना हुआ था तभी वहां पर उसे वह बूढ़ा व्यक्ति दिखता है जो उसकी नाव पर बैठा हुआ था।

उमेश बूढ़े आदमी से पूछता है, हे बूढ़े आदमी आप कौन हैं? तभी वह बूढ़ा आदमी एक सुंदर राजकुमार में परिवर्तित हो जाता है और वह कहता है। तुम एक अच्छे दिल और एक नेक इंसान हो मुझे तुम्हारे बारे में सारी बातें पता है कि तुम कैसे अपने ईमानदारी के साथ अपने जीवन को व्यतीत करते हो तुम बहुत ही मेहनती हो इस बात से मैं बहुत प्रसन्न हूं।

राजकुमार उमेश को अपने महल में ले जाता है, उमेश को अच्छा भोजन कराया गया और उसे राजकुमार एक कमरे में ले जाता है, जहां पर सोने-चांदी से कमरा भरा हुआ था। वह राजकुमार उमेश से कहता है, उमेश तुम्हें जितने भी धन की आवश्यकता हो यहां से ले सकते हो और आगे आवश्यकता होने पर तुम और भी यहां से ले जा सकते हो।

उमेश वहां से अपने आवश्यकता अनुसार धन को उठा लेता है और राजकुमार का धन्यवाद करता है। इतने में राजकुमार बोलता है उमेश इस नगरी के बारे में तुम किसी से नहीं बताओगे यहां तक अपनी मां और पत्नी से भी नहीं अगर तुमने किसी को बताया तो यह जादू नगरी तुम्हारे लिए हमेशा हमेशा के लिए बंद हो जाएगी।

नदी की Jadui Kahaniyan

उमेश राजकुमार के साथ उसी छोटे से तालाब पर पहुंचता है, राजकुमार कहता है उमेश तुम इसी तालाब में फिर से डुबकी लगाओगे तो तुम अपने नाव के पास पहुंच जाओगे उमेश उसे छोटी से तालाब में डुबकी लगाता है वह अपने नाव के पास पहुंच जाता है और अपनी नाव के साथ अपने घर की तरफ चल देता है।

देखते ही देखते उमेश उस गांव का सबसे अमीर व्यक्ति हो जाता है, उसने सभी लोगों का कर्जा वापस कर दिया था। उसकी पत्नी आश्चर्य थी की इतना सारा धन उमेश के पास कहां से आया लेकिन उसकी पत्नी को उमेश पर विश्वास था कि उमेश कोई गलत कार्य नहीं कर सकता फिर भी वह उमेश से पूछती है कि आप इतना सारा धन कहां से लाते हैं उमेश कहता है मेरी धर्मपत्नी इस बारे में हम बात नहीं करेंगे मैंने तुम्हें कई बार कहा है।

मेवालाल आश्चर्य था कि उमेश के पास इतना सारा धन कहां से आया वह उसकी अमीर होने से उसके अंदर ईर्ष्या पैदा होने लगी क्योंकि उमेश अब अपने नाव के दाम भी कम कर दिया था और यहां तक कि वह अपने गांव के लोगों को मुफ्त में नदी पार कराया करता।

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मेवालाल इस बात को जानने के लिए उमेश के पीछे लग गया और एक दिन उमेश को उसे नदी में कूद ते हुए देख लेता है और कुछ देर बाद उमेश उसे नदी से धन लेकर आता है यह सब कुछ देख मेवा लाल को सारी बातें पता चल जाती हैं। मेवालाल को लगता है की नदी के बीचो-बीच कोई खजाने का सुरंग है।

वह अगले ही दिन अपने आदमियों के साथ उसे नदी को बीचो-बीच जाता है और अपने आदमियों के साथ उस नदी में छलॉँग लगा देता है तभी उसे नदी में जादुई लहर आता है, जिससे मेवालाल और मेवालाल के आदमी वही डूब जाते हैं।

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