
Anokhi Dosti Ki Hindi Kahani
उमरपुर गांव में दो दोस्त रहते थे, उनकी अनोखी दोस्ती गांव के बाहर बाहर जानी जाती थी, लोग कहते थे, राजू और राकेश की दोस्ती काफी गहरी है उन दोनों दोस्ती की लोग मिसालें देते थे लोग कहते थे उनकी दोस्ती किसी भाई से कम नहीं है। राजू एक गरीब परिवार से था और वही राकेश एक सेठ जमीदार का लड़का था। वह दोनों दोस्त साथ में पढ़ने जाते है साथ में घूमते खेलते थे, लेकिन राकेश के पिता को यह बात अच्छी नहीं लगती थी वह हमेशा राकेश को समझते थे कि वह एक गरीब घर आने से है वह तुम्हारे दोस्त बनने के लायक नहीं है।
लेकिन राकेश कहां मानने वाला था अपनी दोस्ती को लेकर वह अपने पिता से कहता है। पिताजी दोस्ती में ऊंच-नीच नहीं देखी जाती दोस्ती दोस्ती होती है, वह सिर्फ निभाई जाती है और राजू मेरा दोस्त है।
इस बात को लेकर राकेश के पिता बहुत चिंतित होते हैं, क्योंकि उनको गरीब लोगों से चीड़ होती थी और राकेश को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आती थी, कुछ साल खुशी-खुशी दोनों ऐसे ही समय बिताते हैं फिर बीच में अचानक राकेश के पिता उसे शहर भेज देते हैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए राकेश शहर चला जाता है और बेचारा राजू गरीब लाचार अपने घर ही रह जाता है क्योंकि वह गरीबों के कारण बाहर पढ़ाई करने के लिए नहीं जा सकता था वह फिर अपने पिताजी के साथ खेती-बाड़ी करने लगा।
अनोखी दोस्ती Kahani in Hindi
राजू भी कहीं न कहीं इस बात से बहुत उदास रहता था क्योंकि उसका दोस्त उसे दूर हो गया था। कुछ साल ऐसे ही बीत जाते हैं और वहां राकेश पढ़ाई पूरी कर एक अच्छी सी नौकरी को प्राप्त करता है वही राजू गरीबी के कारण अपने पिताजी के साथ खेती-बाड़ी में ही लगा रहा खेती-बाड़ी के चलते वह पढ़ाई भी ठीक तरीके से न करने की वजह से वह नौकरी न ले सका।
सड़क के किनारे राजू अपने खेत में काम कर ही रहा था कि तभी वहां एक गाड़ी आकर रूकती है एक बार राजू आश्चर्य चकित हो गया कि यह गाड़ी से कौन आया है, तभी उसे गाड़ी में से राकेश नीचे उतरता है राकेश कोट पैंट पहने हुए काफी शानदार लग रहा था। यह देख राजू बहुत खुश होता है फिर अपने मन में सोचता है कि कहां अब राकेश अमीर आदमी और कहा मैं अब गरीब वह मुझसे क्यों ही बात करेगा।
राजू वही अपने खेत में खड़ा रहा इतने में राकेश भागत हुआ आता है और राजू के गले लग जाता है, राकेश की गले लगते हैं राजू के आंखों में आंसू आ जाते हैं वह यह सोच रहा था कि इतने समय बाद राकेश के दूर होते हुए भी वह अपनी दोस्ती नहीं भूला।
तभी राकेश बोलता है मेरे दोस्त आजकल क्या कर रहे हो राजू बोलता है कुछ नहीं मित्र बस पिताजी के साथ खेती बाड़ी संभाल रहा हूं इतने में राकेश बोलता है क्यों कोई काम धंधा नहीं मिला क्या? राजू बोलता है काम धंधे का समय ही नहीं मिलता घर परिवार संभालना और खेत में पिताजी के साथ काम करना।
दोस्ती की कहानी
राकेश बोलता है चिंता मत करो दोस्त तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हारी नौकरी लगवा दूंगा वहां हमारे कुछ पहचान के लोग हैं, राजू बोलता है नहीं मित्र मैं ठीक हूं, लेकिन राकेश कहां मानने वाला था वह अपने दोस्त को साथ लिया जाता है और उसकी नौकरी पक्की कर देता है। इतना सब कुछ हो जाने के बाद राजू राकेश को धन्यवाद कहता है इतने में राकेश बोलता है मित्र धन्यवाद बोलकर मुझे शर्मिंदा न करो तुम मेरे मित्र हो यह हमारा फर्ज था कि मैं तुम्हारे बुरे वक्त में साथ दूं और एक अच्छे मित्र की यही तो पहचान होती है।
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कुछ साल बीतते ही वह दोनों मित्र अपनी पिता जी के अनुमति से एक साथ सुंदर कन्या देखकर दोनों शादी कर लेते हैं और खुशी-खुशी अपने जीवन को व्यतीत करते हैं। मेरे प्रिय दोस्तों यह कहानी आपको कैसी लगी अगर यह आपको Anokhi Dosti Hindi Kahani अच्छी लगी हो तो आप इसे अपने सभी दोस्तों के साथ साझा करना ना भूले और ऐसे ही अनोखी-अनोखी कहानी पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट पर आते रहें धन्यवाद।